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Tribute to Swami Agnivesh

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  ॐ शांति टिहरी बांध विरोध का आंदोलन चल रहा था। डैम साइट में तंबू में आदरणीय सुंदरलाल बहुगुणा जी अपने उपवास में थे। गर्मी का मौसम था। तपती धूप थी, पसीने से लगभग सब तर थे, स्टैंडिंग फैन के अलावा कोई और माध्यम तथाकथित ठंडी हवा का नही था। लोग कई संख्या में सुंदरलाल जी के समर्थन में वैठे थे। मैं अबोध बालक था लेकिन आदरणीय बहुगुणा जी का अनुशरण करता था। लोगो के मिलने वालों की संख्या असीमित थी। मिलने का अमूल्य कारण बहुगुणा जी का गिरता हुआ स्वास्थ्य था। पुलिस का पहरा लगातार रहता था, अ ब वह सुरक्षा को लेकर था या इस ताक पर था कि कब मौका मिले और आंदोलन को तोड़ने के लिये बनी प्रशासन या सरकारी नीति को अमला जामा पहनाया जाये। बहराल सभी चिंतित थे, सरकार ने तो कोई संदेश न कोई दूत आया था। करे तो क्या करे। जो भी हो आंदोलन तो रहेगा और साथ भी पूरा देंगे। ऐसी ही सोच के साथ एक दिन दो तीन वाहन धरना स्थल में आके रुके। अमूमन हमारा धरना डैम साइड को जा रही रोड पर ही था ताकि बांध का कार्य बाधित रहे, इसलिए वाहनों का आवागमन होता ही रहता था। लेकिन इस बार वाहन आवागमन के लिये नही बल्किन धरना स्थल पर आकर रुका। कुछ लोग...

My life in words:

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यह कोई महान पंक्तियाँ नहीं बस महसूस किये हुए शब्द है : My life in these words मैं लड़ता हूँ, क्योंकि मुझे लोगो के लिए कुछ करना है l मैं सहता हूँ, क्योंकि मंथन में विश को भी पीना पड़ता है। मैं खोता हूँ, क्योंकि मेरे खोने से बहुत लोगो का भला होता है। यह सब मैं करता हूँ, दूसरों को साथी बना कर। रोता हूँ तो. अपने साथ को ही अपना कन्धा मानता हूँ । अकेला रहता हूँ ताकि मेरे आंच में कोई झुलस न सके। और जीता हूँ यह सोच कर कि कोई तो नाविक होगा जो इस नांव को नदी पार कराएगा, जो इस जीवन के मायने को पूरा करने में मदद करेगा I बस इन्ही पंक्तियों में सिमटी है मेरी जिंदगी और इन्ही पंक्तियों में मेरी जिंदगी का बखान है I

"क्रेशर" में "क्रश" होते मापदंड :

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“मलेथा”- वीर शिरोमणि माधों सिंह भंडारी की कर्मस्थली जहाँ की गाथा इन दो पंक्तियों में गायी जाती है- ‘एक सिंह रण-वण, एक सिंग गाय का/ एक सिंग माधो सिंग और सिंग काहे का’ I किवदंती है कि अपने गॉव में जल की आपूर्ति के लिए आस्था के नाम पर अपने पुत्र की बलि वीर माधो सिंह भंडारी ने दी व आज तक इस गॉव के खेत हरियाली से लहराते रहे I पूरे राज्य में मलेथा की कृषि भूमि अपने आप में गाथा गाती रही है I विगत एक महीने से इसी भूमि पर ग्रामीण पुनः माधो सिंह भंडारी को याद करते हुए ग्राम सभा में लग रहे स्टोन क्रशरों का विरोध करते हुए नजर आ रहे हैं I ९ वार्ड की जनता एक स्वर में हक़ हकूक की बात करते हुए अपने गॉव के ऊपर आने वाले संकटों के खिलाफ एकजुट हुई है I पहाड़ में किसी भी सामाजिक बदलाव में अहम भूमिका निभाने वाली मात्र शक्ति राष्ट्रीय राजमार्ग पर आन्दोलनरत है I   ग्राम सभा मलेथा में पांच स्टोन क्रेशर , दो वर्तमान में चलायमान व प्रस्तावित 3 स्टोन क्रशर सरकारी मानको को ताक पर रख कर कुछ पूंजीपतियों और कुछ राजनेताओं के हितों के लिए लगाए जा रहे हैं I पर्यावरण , स्वास्थय , जल , जंगल , वनस्पति , क...

Maletha- Gairsain Foot March - One villager revealing the drawback facing in village......

"बदलते मौसम ने हमारी खेती पर प्रभाव डाला है, लोग पलायन कर रहे हैं .. ........................." मलेथा- गैरसैण पद यात्रा के दौरान रिक्साल के एक ग्रामीण से बातचीत के दौरान https://www.youtube.com/watch?v=KRIb1HnCCQA&feature=youtu.be

श्रीदेव सुमन पुण्यतिथि : 25 July

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श्रीदेव सुमन पुण्यतिथि : 28 वर्षीय नौजवान की शहादत की सार्थकता उनके कर्मो के साथ- साथ नौजवानों में उनके सन्देश की अनुभूति से आंकी जा सकती है। मेरे नॉएडा निवास की दीवार पर लगी यह तश्वीर सिर्फ जज्बे को नमन करने के लिए ही नहीं बल्किन यह एहसास दिलाने के लिए है की इस धरा में जन्म लिए हुए सभी प्राणियों को इस धरा के प्रति अपना कर्तव्य निर्वाह का बोध होना चाहिए। यह मायने नहीं रखता की उक्त व्यक्ति की उम्र क्या है पर यह मायने रखता है की उक्त व्यक्ति का ध्येय क्या है। 1944 में 28 वर्षीय उस नौजवान ने अपने कर्मो से इतिहास के पन्नो पर स्वर्णिम अक्षरों से नौजवानों के लिए प्रेरणा देते हुए देह त्याग दिया। राजशाही के खिलाफ मुखर कर कठोर कारावास के साथ 84 दिन की भूख हड़ताल के बाद राजशाही के जुल्मों के शिकार हुए नौजवान जाते जाते हम नौजवानों के लिए सदा के प्रेरणा श्रोत सन्देश छोड़ गए। श्रीदेव सुमन की कर्मस्थली में मै बाल्यावस्था से अनेक क्रातिकारी लोगों से मुखातिब हुआ। एक श्रीदेव सुमन की शहादत अनेक लोगों में जज्बे की लौ जला गई। पूर्णतः तो नहीं लेकिन कुछ अंश उस जज्बे के मैंने भी ग्रहण किये। ...